कोण और अपवर्तन कोण के ज्या के नियम का आविष्कार सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक नहीं हुआ था।
2.
इसी से अपवर्तन का नियम आपतन कोण की ज्या / अपवर्तन कोण की ज्या = अपवर्तनांक भी प्रमाणित हो जाता है।
3.
“क्या अंधे संयोग को ये पता था की प्रकाश का अस्तित्व भी है, की प्रकाश का अपवर्तन कोण (रिफ़्रेक्शन) कितना होता है और सारे जीवों की आंखें उसका सबसे दिलचस्प तरीके से इस्तेमाल करने के लिये लगा दीं?
4.
यद्यपि प्रकाश के परावर्तन, अपवर्तन और रेखीय संचरण के नियम ग्रीक दार्शनिकों को ईसा से कुछ शताब्दियों पूर्व से ही ज्ञात थे पर आपतन (incidence) कोण और अपवर्तन कोण के ज्या के नियम का आविष्कार सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक नहीं हुआ था।
5.
“ क्या अंधे संयोग को ये पता था की प्रकाश का अस्तित्व भी है, की प्रकाश का अपवर्तन कोण (रिफ़्रेक्शन) कितना होता है और सारे जीवों की आंखें उसका सबसे दिलचस्प तरीके से इस्तेमाल करने के लिये लगा दीं? ऐसे और दूसरे कई आवलोकन, हमेशा से, और हमेशा तक मानवता के साथ बने रहेंगेग, ये विश्वास करने के लिये की कोई है जिसने सब कुछ बनाया है, जो सर्वशक्तिमान है, अत: उससे डरा जाना चाहि ए. ”